Friday, January 9, 2009

एक और सच

बिहार में मीडिया के बारे में ये हक़ीक़त विभिन् ऑनलाइन समूहों से होकर गुज़रते हुए मुझ तक पहुंची है. शुरुआती प्रेषक हैं प्रमोद रंजन. इसके बारे में और जानने के लिए आप प्रमोदजी को सीधा लिख सकते हैं. उनका मेल पता है: pramodrnjn@gmail.com. हालांकि यह चौकाने वाला पहला सर्वेक्षण नहीं है. साल-दो साल पहले ही सीएसडीएस के योगेन्‍द्र यादव के नेतृत्‍व में कुछ पत्रकारों ने समकालीन मीडिया में शीर्ष पदों पर आसीन लोगों के बारे में एक अघ्‍ययन किया था. प्रमोदजी का अघ्‍ययन योगेन्द्रजी के अघ्‍ययन को आगे ले जाता है. मेरी कोशिश होगी कि जल्‍दी ही योगेन्‍द्रजी वाला अघ्‍ययन पोस्‍ट करूं.


बिहार से इस समय मुख्य रूप से 6 हिंदी दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं. इनमें से पांच के संपादक ब्राह्‌मण हैं. इन छह समाचार पत्रों में ब्यूरो प्रमुख के पदों पर काबिज लोगों में 4 ब्राह्‌मण 1 भुमिहार व एक राजपूत हैं. यही हाल
टीवी चैनलों का भी है. बिहार में हिंदी, अंग्रेजी समाचार पत्रों, टीवी चैनलों में शीर्ष पदों पर 100 फीसदी हिंदुओं का कब्जा है. इनमें 99 प्रतिशत द्विज हैं. पिछड़ी जाति का कोई भी पत्रकार फैसला लेने वाले पद पर नहीं है. इन पदों पर दलित,
मुसलमान व महिलाओं की उपस्थिति शून्‍य है. अब सवाल यह उठता है कि बिहार की इस द्विज पत्रकारिता ने किसका हित साधा है? किसने इसका उपयोग किया है? इसके अपने राग-द्वेष क्या हैं?